अलवर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी भंवर जितेन्द्र सिंह लगातार दूसरा चुनाव हार गए।
अलवर. अलवर लोकसभा सीट कांग्रेस प्रत्याशी भंवर जितेन्द्र सिंह को हार का सामना करना पड़ा। राहुल गांधी के करीबी रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह लगातार दूसरी बार चुनाव हारे। 2014 में महंत चांदनाथ योगी से, और अब 2019 में महंत बालकनाथ योगी से।
2014 में उन्हें चांदनाथ ने 2 लाख 83 हजार वोटों से हराया था, अब उनके शिष्य बालकनाथ ने 2 लाख 23 हजार 78 6 वोटों से पराजित किया है। महंत चांदनाथ रोहतक के अस्थल बोहर मठ के मठाधीश थे, उनके निधन के बाद महंत बालक नाथ को मठाधीश बनाया गया। इसके बाद उन्हें अलवर सीट से चुनाव लड़ाया गया, उस समय हालांकि भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध किया था, लेकिन बालक नाथ को मोदी लहर का फायदा मिला, साथ ही बहरोड़ से उन्होंने 98 हजार 754 वोट की बढ़त लेकर खुद को साबित किया।
ऐसे नतीजों की किसी को नहीं थी उम्मीद
अलवर सीट से इतनी बड़ी जीत की किसी को उम्मीद नहीं थी, राजनीतिक विशेषज्ञ भी इस सीट पर ज्यादा से ज्यादा 1 लाख का अंतर मान रहे थे। लेकिन बालक नाथ ने बड़ी जीत दर्ज की, चुनाव परिणाम से एक दिन पूर्व पत्रिका से बातचीत में बालक नाथ ने कहा था कि चौंकाने वाले नतीजे आएंगे, और ऐसा ही हुआ, बालक नाथ की जीत वाकई में चौंकाने वाली रही।
अलवर शहर से ही 43 हजार की जीत
अलवर लोकसभा सीट से जितेन्द्र सिंह हारे, लेकिन अलवर शहर से 43 हजार के अंतर की हार होगी, यह किसी ने नहीं सोचा था। कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का चुनाव से पूर्व दावा था कि जितेन्द्र सिंह ने अलवर शहर में खूब विकास कराया है, इसका फायदा उन्हें मिलेगा, लेकिन नतीजे इसके उलट आए। जितेन्द्र सिंह शहर से 43 हजार वोट से चुनाव हार गए। 2018 के लोकसभा उपचुनाव में अलवर शहर से कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की थी, लेकिन अब बालक नाथ ने यहां से प्रचंड बढ़त हासिल की है।