अलवर. सरिस्का ( Sariska ) के जंगल का राजा एक बार फिर जिंदगी की जंग हार गया। या यों कहें कि मेहमान राजा सरिस्का में आकर जिंदगी की जंग हार गया। सरिस्का के बाघ एसटी-16 ( Tiger St-16 )की मौत हो गई है। बाघ को रणथंभौर से सरिस्का में लाए 2 माह का समय भी नहीं हुआ था, कि यहां उसकी मौत हो गई। बाघ की मौत हीट स्ट्रोक यानी गर्मी के कारण हुई है। बाघ अलवर के मालाखेड़ा के पास रोटक्याला क्षेत्र में मृत मिला। सरिस्का से इस बाघ को काफी उम्मीदें थी। बाघ युवा था, रणथंभौर ( Ranthambore ) से सरिस्का प्रशासन को इस बाघ सरिस्का की उन्नति व टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने के सौंपा गया था। लेकिन यहां आकर हस्ट-पुस्ट और युवा बाघ भी जिंदगी की जंग हार गया।
15 माह में चौथे बाघ की मौत
सरिस्का में पिछले 15 माह में चौथे बाघ की मौत हुई है। पिछले साल फरवरी माह से बाघिन एसटी-5 गायब चल रही थी, बाद में जिसकी मौत की पुष्टी हुई। इसके एक माह बाद सरिस्का में सबसे मजबूत बाघ एसटी-11 की फंदे में फंसकर मौत हुई थी। इसके बाद दिसंबर में बाघ एसटी-4 की मौत हो गई थी। एसटी-4 की मौत बाघ एसटी-6 से हुए संघर्ष में हुई थी। इस संघर्ष के बाद बाघ एसटी-6 भी घायल हो गया था, जो अब केवल संख्या के तौर पर ही सरिस्का में गिना जा रहा है।
सरिस्का देशभर में हो रहा बदनाम
लगातार बाघों की मौत के बाद सरिस्का बदनाम हो रहा है। यहां बाघों की मौत का सिलसिला एक बार फिर से शुरु हो गया है। सरिस्का वर्ष 2005 में बाघ विहिन हो गया था, यहां बाघों का शिकार होनेे के बाद सरिस्का देशभर में नकारात्मक सुर्खियों में रहा था। फिर वर्ष 2008 में रणथंभौर से बाघों का पुर्नवास किया गया और यहां बाघ लाए गए। लेकिन 10 साल बाद वर्ष 2018 में सरिस्का आफत में आ गया और अब पिछले 15 माह में यहां 4 बाघ-बाघिन की मौत हो चुकी है।